बाड़मेर के न्यायिक कर्मचारी संघ के कर्मचारियों ने कोर्ट परिसर में जोरदार प्रदर्शन कर कैडर पुनर्गठन की मांग उठाई। न्यायिक कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सामूहिक अवकाश लिया और धरने पर बैठ गए। इससे जिले की अदालतों में न्यायिक कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया।
संघ के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह ने बताया कि राज्य सरकार ने दो साल पहले अन्य सभी विभागों के कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए कैडर पुनर्गठन किया था, लेकिन न्यायिक विभाग को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि न्यायिक कर्मचारी पिछले दो वर्षों से लगातार इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। ज्ञापन सौंपने से लेकर धरना-प्रदर्शन तक हर रास्ता अपनाया गया है। यहां तक कि राजस्थान हाईकोर्ट भी इस मांग को जायज मानते हुए राज्य सरकार को प्रतिवेदन भेज चुका है, लेकिन सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।
संघ की सदस्य नागर वंदना ने चेतावनी दी कि सरकार की अनदेखी के चलते न्यायिक कार्यप्रणाली बुरी तरह प्रभावित हो रही है। यदि समय रहते न्यायिक कर्मचारियों की मांगें नहीं मानी गईं, तो पूरे प्रदेश में आंदोलन को उग्र रूप दिया जाएगा और हड़ताल की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हड़ताल के दौरान न्यायालयीन दस्तावेजों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उनकी नहीं होगी।
प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने कहा कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, आंदोलन जारी रहेगा। इस विरोध के चलते बाड़मेर सहित अन्य जिलों में भी न्यायिक कार्यों पर असर पड़ने की संभावना है।
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