जगन्नाथ रथयात्रा न्यूज:ओडिशा के पूरी में स्थित प्रसिद्द धार्मिक स्थल भगवान जगन्नाथ के मंदिर से भव्य रथ यात्रा 27 जून को निकाली जाएगी।
स्कंद पुराण में वर्णित है रथ यात्रा की कथा-
पुराणों के अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन देवी सुभद्रा ने नगर दर्शन की इच्छा प्रकट की। तब भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र के साथ सुभद्रा को रथ पर बिठाकर पुरी नगर भ्रमण के लिए निकले। यात्रा के दौरान वे अपनी मौसी गुंडिचा देवी के घर पहुँचे और वहाँ सात दिनों तक विश्राम किया। तभी से यह पावन परंपरा रथ यात्रा के रूप में हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को मनाई जाती है।
इस वर्ष कब से शुरू होगी होगी –
इस वर्ष 27 जून से शुरू होगी और 5 जुलाई को समाप्त। ऐसी मान्यता है इस यात्रा में शामिल होने और भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा के साथ यात्रा पर निकलने से पहले 14 दिन के एकांतवास पर रहते हैं, फिर शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर दर्शन देते हैं।
हजारों भक्तों की उमड़ती है श्रद्धा-
रथ यात्रा के दिन तीन विशाल रथों में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाएं विराजमान की जाती हैं, जिन्हें भक्तगण रस्सियों से खींचते हैं। यह दृश्य न केवल भव्य होता है, बल्कि इसमें श्रद्धा, सेवा और भक्ति की गहराई भी समाहित होती है। पुरी ही नहीं, देश के कई हिस्सों में भी रथ यात्रा मनाई जाती है, लेकिन पुरी की रथ यात्रा को ‘विश्व का सबसे बड़ा चल समारोह’ माना जाता है।तीनों रथ पारंपरिक विधियों से विशाल लकड़ियों के प्रयोग से बनाए जाते हैं, जिनका निर्माण हर वर्ष नए सिरे से होता है।
रथ यात्रा की विशेषताएं –
यह यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को होती है (जून-जुलाई के बीच)।
तीनों देवताओं के लिए तीन विशाल रथ बनाए जाते है। तीनों के रथों के नाम है-
1.जगन्नाथ का रथ – नन्दीघोष (16 पहिए)
2.बलभद्र का रथ – तालध्वज (14 पहिए)
3.सुभद्रा का रथ – दर्पदलन (12 पहिए)
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा धूम-धाम से मनाई जाएगी। जैसे लाखों श्रद्धालु आते है वैसे ही इस वर्ष इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ , बलभद्र और सुभद्रा जी के दर्शन करने के लिए आएंगे । भगवान जगन्नाथ जी अपने भक्तों के बीच आकर उन्हें आशीर्वाद देंगे। रथ यात्रा के समय भत्तों में प्रभू के प्रति श्रद्धा, भक्ति,प्रेम,देखने को मिलता है। जिस से वहां का वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
रिपोर्ट – मीनाक्षी शर्मा
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