जयपुर: लाखों की नकदी, पॉश इलाके में प्लॉट, महंगी शराब का शौक और अधिकारियों से वसूली – ये सब किसी माफिया के नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े गए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के अपने ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एडिशनल एसपी) जगराम मीणा की करतूतें हैं।
27 जून को जयपुर के शिवदासपुरा टोल प्लाज़ा पर जब ACB की टीम ने उसकी कार रोकी, तो उसमें से ₹9.35 लाख नकद बरामद हुए। पूछताछ में जब वह इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सका, तो उसी रात टीम ने जयपुर के जगतपुरा स्थित उसके घर पर दबिश दी।
रात करीब 2 बजे तक चली सर्च में उसके घर से ₹40.50 लाख नकद, लाखों रुपए की ज्वेलरी, महंगी विदेशी शराब की दर्जनों बोतलें, मालवीय नगर जैसे पॉश इलाके में प्लॉट के दस्तावेज और मिनी बार बरामद हुआ। कैश की गिनती के लिए नोट गिनने की मशीन बुलानी पड़ी।
विजिलेंस की रडार पर था, दो बार फिसल चुका था जाल से
जगराम मीणा पिछले दो महीनों से ACB विजिलेंस यूनिट की रडार पर था। दो बार वह ट्रैप से बच निकला। पहली बार जब एएसपी सुरेंद्र शर्मा पर कार्रवाई हुई, तब वह भीलवाड़ा में पैसा छोड़कर जयपुर भाग आया। दूसरी बार उसने कार बदलकर टीम को चकमा दे दिया।
ट्रांसफर के बावजूद जारी थी ‘बंधी’ की वसूली
हाल ही में भीलवाड़ा से उसका ट्रांसफर झालावाड़ हुआ था, लेकिन उसने वसूली का सिलसिला नहीं रोका। वह परिवहन, खनन, आबकारी और पुलिस विभाग से बंधी के रूप में अवैध वसूली करता रहा। दो दिन पहले जब वह कैश लेकर रवाना हुआ, तब ACB की टीम ने एएसपी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में कार्रवाई की।
ACB की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि वह सरकारी वाहन का उपयोग नहीं करता था।
जब भी वसूली की राशि लेकर आता, तो वह खुद की कार से आता ताकि शक न हो।
इस बार भी उसने यही तरीका अपनाया, लेकिन इस बार वह ACB के शिकंजे में आ गया।
अब होगा निलंबन – शनिवार को ACB उसकी सेवा स्थगन (APO) या निलंबन के लिए गृह विभाग को पत्र भेजेगी, जिसके बाद आधिकारिक कार्रवाई की जाएगी।
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