सीकर में एडीजे कोर्ट नंबर-1 सीकर ने शुक्रवार को 12 साल पुराने गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग के सनसनीखेज मामले में दो आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 20-20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने ईसाक (39) और शहजाद (49) पर 20-20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने इस अपराध को महिला की गरिमा के साथ किया गया गंभीर अपराध माना और कहा कि ऐसे मामलों में किसी भी तरह की नरमी समाज के लिए गलत संदेश हो सकती है।
पति विदेश में, पीड़िता अकेली… फिर शुरू हुई हैवानियत
पीड़िता ने 25 अगस्त 2012 को मामला दर्ज कराया था। उसने बताया कि उसका पति विदेश में रहता था और वह ससुराल में अकेली थी। घर की गाड़ी का ड्राइवर शहजाद था, जिसने एक दिन चार महीने की बेटी को डॉक्टर के पास ले जाने के बहाने उसे पार्क में गाड़ी के अंदर दुष्कर्म किया। इसके बाद धमकी देकर लाडनूं ले गया, जहां रिश्तेदार के घर उसे पत्नी बताकर रातभर बलात्कार किया।
गुप्त कैमरे में कैद की गईं तस्वीरें, फिर शुरू हुई ब्लैकमेलिंग
शहजाद ने पीड़िता की अश्लील तस्वीरें गुप्त कैमरे से कैद कर लीं। इन तस्वीरों के दम पर वह लगातार उसका शारीरिक शोषण करता रहा। फिर विदेश जाते समय उसने मेमोरी कार्ड अपने साथियों हनीफ और ईसाक को दे दिया। इन दोनों ने भी पीड़िता को धमकाया और सीकर व वसालासर ले जाकर कई बार गैंगरेप किया।
पैसों की मांग, गहने छीने और नई मांग—तीन और लड़कियां लाओ
दोषियों ने पीड़िता से 50 हजार रुपए की मांग की। डर के कारण उसने पिता से 30 हजार रुपए मंगवाकर दे दिए। साथ ही सोने-चांदी के जेवर भी छीन लिए गए। हद तो तब हो गई जब एक महीने पहले आरोपियों ने तीन अन्य लड़कियों की व्यवस्था करने को कहा और मना करने पर उसकी अश्लील तस्वीरें गांव में वायरल कर दीं।
कोर्ट ने कहा – अब बर्दाश्त नहीं
जज महेंद्र प्रताप बेनीवाल ने फैसले में कहा, “इस प्रकार के अपराध महिला की मर्यादा और आत्मसम्मान को रौंदने वाले हैं। सामूहिक बलात्कार जैसे मामलों में समाज को सख्त संदेश देना जरूरी है। न्यायालय को कानून के माध्यम से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाना होगा।”
23 गवाह, 9 अहम दस्तावेज और 12 साल की कानूनी लड़ाई
अपर लोक अभियोजक रामवतार शर्मा ने बताया कि कोर्ट में 23 गवाहों के बयान और 9 से अधिक दस्तावेज पेश किए गए। वर्षों की कानूनी प्रक्रिया के बाद यह फैसला सामने आया है, जो महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों और ब्लैकमेलिंग के मामलों में एक मिसाल बनेगा।यह फैसला केवल एक पीड़िता के संघर्ष की जीत नहीं, बल्कि समाज को यह स्पष्ट संदेश भी है कि अपराध कितना भी पुराना हो, कानून की पकड़ से कोई नहीं बच सकता।
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