सीकर के खाटूश्यामजी में कलयुग के अवतार, तीन बाणधारी और ‘हारे का सहारा’ बाबा श्याम के दरबार में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है।
रविवार को खाटूश्यामजी मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। निर्जला एकादशी के बाद से शुरू हुआ भक्तों का तांता थमने का नाम नहीं ले रहा। बीते 20 दिनों में करीब 20 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा श्याम की एक झलक पाने खाटू नगरी पहुंच चुके हैं।
रविवार सुबह से ही रींगस से खाटूधाम तक ‘जय श्री श्याम’ के जयकारों की गूंज सुनाई दी। श्याम प्रेमी सिर पर केसरिया निशान लिए मंदिर की ओर बढ़ते नजर आए। मौसम ने भी भक्तों का साथ दिया—हल्की बारिश और तापमान में गिरावट से श्रद्धालुओं का उत्साह और बढ़ गया।
भक्ति और व्यवस्था का अद्भुत संगम
मंदिर परिसर में सुबह से देर शाम तक भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। चारों ओर भक्ति का माहौल था और सतरंगी फूलों से सजा मंदिर भक्तों को आध्यात्मिक आनंद दे रहा था। बाबा श्याम के दर्शन के लिए श्रद्धालु घंटों कतार में खड़े रहे, लेकिन उनके चेहरों पर कोई शिकन नहीं थी—बल्कि आंखों में श्रद्धा और दिल में भक्ति थी।
श्री श्याम मंदिर कमेटी द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए छाया, पेयजल, मेडिकल सुविधा, कारपेट और सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। व्यवस्थापक संतोष कुमार शर्मा ने भक्तों से सहयोग की अपील की है, ताकि व्यवस्था बनी रहे और दर्शन सभी के लिए सुगम हो सकें।
पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह चौकस
भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने भी कड़े इंतजाम किए हैं। ट्रैफिक और भीड़ प्रबंधन के लिए मंडा रोड और हनुमानपुरा मोड़ जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष निगरानी रखी जा रही है। सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती की गई है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
धार्मिक पर्यटन का उभरता केंद्र
खाटूश्यामजी न केवल श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है, बल्कि अब यह एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में भी पहचान बना रहा है। भारत सरकार की ‘स्वदेश दर्शन योजना 2.0’ के अंतर्गत यहां विकास कार्यों के लिए पहली किस्त जारी की जा चुकी है। इससे मंदिर परिसर और आस-पास के क्षेत्रों में सुविधाओं का विस्तार होगा, जिससे खाटूधाम को अंतरराष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्थान मिल सकेगा।
श्रद्धालु कहते हैं कि बाबा श्याम की एक झलक पाने के लिए चाहे जितना भी इंतजार करना पड़े, वह समय भी धन्य हो जाता है। खाटू का यह आध्यात्मिक वातावरण केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और एकता का प्रतीक बन गया है।
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