अजमेर में खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के आह्वान पर अजमेर की कृषि उपज मंडी व्यापार संघ ने 2 जुलाई से 5 जुलाई तक सांकेतिक हड़ताल की घोषणा की है। इस दौरान मंडी में सभी प्रकार के व्यापारिक कार्य बंद रहेंगे। हड़ताल के पहले ही दिन करीब 5 करोड़ रुपये का व्यापार प्रभावित हुआ है, जिससे व्यापारियों में सरकार के प्रति गहरी नाराजगी देखी गई।
व्यापारी नेता फूल चंद शर्मा ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने व्यापारियों की जायज मांगों को जल्द नहीं माना, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इस बंद को तेल मिल, दाल मिल, आटा मिल और मसाला उद्योगों का भी समर्थन प्राप्त है।
क्यों हो रहा है आंदोलन?
राज्य सरकार ने 1 जुलाई से मंडियों पर 1% मंडी सेस लागू किया है, जिसका व्यापारियों ने विरोध किया है। व्यापार संघ का आरोप है कि सरकार न तो पूर्व की घोषणाओं पर अमल कर रही है और न ही एमनेस्टी स्कीम लागू कर ब्याज व पेनल्टी माफ कर रही है।
प्रमुख मांगें:
- कृषक कल्याण फीस को अगले 3 वर्षों तक 0.50% पर स्थिर किया जाए
- राज्य के बाहर से आयातित कृषि जिंसों पर मंडी सेस और कृषक कल्याण फीस न लगाई जाए
- चीनी पर कृषक कल्याण फीस हटाई जाए
- मोटे अनाज पर आढ़त दर 2.25% की जाए
- जीरा और इसबगोल को छोड़कर अन्य कृषि जिंसों पर मंडी सेस 1% तय किया जाए
- मंडियों में दुकानों और गोदामों का मालिकाना हक डीएलसी दर के 25% पर दिया जाए
- अजमेर मंडी की जली हुई दुकानों का पुनर्निर्माण कराया जाए
- पुरानी मिलों को नई मिलों जैसी सुविधाएं दी जाएं
- प्याज को मसाला श्रेणी में शामिल किया जाए
अगला कदम?
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार शीघ्र निर्णय नहीं लेती, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी रूप ले सकता है। ऐसे में कृषि जिंसों की आपूर्ति और मूल्य पर असर पड़ने की पूरी संभावना है।
राजस्थान न्यूज: तीन बेटियों का सहारा छिना, परिजन कर रहे इंसाफ की मांग
राजस्थान न्यूज: मकान निर्माण के दौरान करंट से सूबेदार की मौत, सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई