उदयपुर: पुलक सागर महाराज शुक्रवार को देबारी में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी घोषित होनी चाहिए, इसकी शुरुआत हमें खुद से करनी होगी। हमें अपनी बोलचाल में हिंदी को अपनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नेता जिस राज्य में जाते हैं, वहां की भाषा बोलते हैं, लेकिन जैसे ही दिल्ली पहुंचते हैं, अंग्रेजी में भाषण देने लगते हैं।
पुलक सागर महाराज ने कहा कि अगर हिंदुस्तान में हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बनेगी तो पड़ोसी देशों से उम्मीद करना व्यर्थ है। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी का विरोध दक्षिण भारत में हो रहा है, लेकिन मेरा मानना है कि हिंदी को राष्ट्रभाषा जरूर बनना चाहिए।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब तक हमें हिंदी पर गर्व नहीं होगा, तब तक यह कैसे राष्ट्रभाषा बनेगी? आज भी लोग अंग्रेजी में साइन करते हैं, इंडिया कहने में गर्व करते हैं और भारत कहने में शर्म महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी भाषा को लेकर सोच में बदलाव लाना होगा, तभी यह संभव हो पाएगा।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दूसरे धर्मों की निंदा, आलोचना या छींटाकशी नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपने धर्म के प्रति कट्टर रहकर दूसरों का सम्मान करना चाहिए।
उन्होंने समाज में नैतिक पतन, इंसानियत के गिरते स्तर, और बिखरते परिवारों पर चिंता जताई और कहा कि इन सबको अपनी वाणी के माध्यम से जोड़ने का प्रयास करूंगा।