जयपुर में स्थित राजस्थान यूनिवर्सिटी के अधीन महारानी कॉलेज के कैंपस में मजार निर्माण को लेकर विवाद तेज़ हो गया है। धार्मिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शैक्षणिक भूमि पर नियमों के विरुद्ध मजार निर्माण को अतिक्रमण करार देते हुए इसे “लैंड जिहाद” का हिस्सा बताया है। इस मुद्दे पर धरोहर बचाओ संरक्षण समिति के अध्यक्ष भरत शर्मा ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अवैध निर्माण नहीं हटाए जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
कैंपस में तीन मजारों का निर्माण, सुरक्षा पर उठे सवाल-
भरत शर्मा ने आरोप लगाया कि कॉलेज परिसर में पानी की टंकी और पंप हाउस के पास तीन मजारों का अवैध रूप से निर्माण किया गया है। उन्होंने इसे शैक्षणिक माहौल के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा, “जिस कॉलेज में पुरुषों की एंट्री प्रतिबंधित है, वहां अचानक तीन मजारें कैसे बन गईं? यह कॉलेज प्रशासन की लापरवाही और बेटियों की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है।”
उन्होंने यह भी आशंका जताई कि मजार के बहाने एक समुदाय विशेष का धार्मिक अड्डा बनाया जा सकता है, जिससे भविष्य में सरकारी जमीन पर कब्जे और धार्मिक आयोजनों का सिलसिला शुरू हो सकता है।
प्रशासन को सौंपेंगे ज्ञापन-
शर्मा ने बताया कि इस पूरे प्रकरण को लेकर राजस्थान यूनिवर्सिटी की कुलपति, जयपुर पुलिस कमिश्नर और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा। यदि प्रशासन ने समय रहते अवैध मजार नहीं हटाई तो जनआंदोलन की शुरुआत की जाएगी।
प्रिंसिपल बोलीं- मजार निर्माण की मुझे जानकारी नहीं-
महारानी कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर पायल लोढ़ा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह मजार उनके कार्यभार संभालने से पहले की बनी हुई है। उन्हें इसके निर्माण की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि फिलहाल कॉलेज में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है, जिसके चलते मेल रिश्तेदार भी कैंपस में आ-जा रहे हैं, लेकिन मजार को लेकर अभी तक कोई औपचारिक आपत्ति नहीं आई है।
छात्राओं की सुरक्षा पर पहले भी उठ चुके सवाल-
महारानी कॉलेज में करीब 6000 छात्राएं पढ़ाई करती हैं और परिसर में चार गर्ल्स हॉस्टल भी हैं, जहां लगभग 500 छात्राएं निवास करती हैं। हाल ही में कॉलेज के बाहर छात्राओं से अभद्रता की एक घटना भी सामने आई थी, जिसकी शिकायत अशोक नगर थाने में दर्ज कराई गई थी।
इस मामले ने न सिर्फ धार्मिक विवाद को जन्म दिया है, बल्कि छात्राओं की सुरक्षा और कॉलेज प्रशासन की जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है, यदि प्रशासन ने समय रहते स्पष्ट और सख्त कदम नहीं उठाए।
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