हनुमान बेनीवाल ने कहा कि सरकार ने किसानों को खेती और अन्य आवश्यकताओं के लिए सस्ती और सहज ऋण सुविधा देने के उद्देश्य से किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना शुरू की थी। लेकिन इस योजना का लाभ किसानों को मिलने की बजाय कुछ भ्रष्ट बैंक अधिकारी, तहसील कर्मचारी और दलाल मिलकर इसे अवैध कमाई का जरिया बना चुके हैं।
जब किसान KCC के तहत लोन लेने बैंक जाता है, तो उससे सर्च रिपोर्ट नामक दस्तावेज की मांग की जाती है, जो यह प्रमाणित करता है कि उसकी जमीन पर कोई और कर्ज या विवाद नहीं है। यह रिपोर्ट सामान्यतः ₹200-₹500 में बन सकती है, लेकिन किसानों से इसके नाम पर ₹5,000 से ₹10,000 तक अवैध वसूली की जाती है।

यह मुद्दा 3 अप्रैल 2025 को लोकसभा के शून्यकाल के दौरान सांसद हनुमान बेनीवाल द्वारा उठाया गया था। इस संबंध में अब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का आधिकारिक जवाब प्राप्त हुआ है।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि यह मामला भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), नाबार्ड और SLBC (राजस्थान) के साथ विचार-विमर्श कर जांचा गया है। SLBC ने स्पष्ट किया है कि बैंक अपने पैनल वकीलों से किसानों की भूमि सर्च रिपोर्ट तैयार कराते हैं और इसका शुल्क बैंक की आंतरिक नीतियों के अनुसार लिया जाता है।
मंत्री ने यह भी बताया कि भारतीय बैंकिंग संघ (IBA) ने पहले ही सभी बैंकों को सलाह दी है कि ₹3 लाख तक के KCC ऋणों पर प्रोसेसिंग, दस्तावेज़ीकरण, निरीक्षण और अन्य सेवा शुल्क माफ किए जाएं।
इसके साथ ही RBI ने समानता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दस्तावेजीकरण शुल्क के नियम तय करने की सलाह दी है। उन्होंने यह भी बताया कि अब कोलैटरल फ्री ऋण की सीमा ₹1.60 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख कर दी गई है।
भविष्य को देखते हुए सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के तहत एग्रीस्टैक प्लेटफॉर्म पर कार्य कर रही है, जिससे भूमि अभिलेखों की जांच ऑनलाइन हो सके और आने वाले समय में सर्च रिपोर्ट की आवश्यकता समाप्त की जा सके।
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