भरतपुर के रूपबास में रविवार को धार्मिक उल्लास और आस्था का अनूठा संगम देखने को मिला।जब प्राचीन परंपरा के तहत माता जानकी और भगवान जगन्नाथजी के वर महोत्सव का आयोजन किया गया।
सुबह सुभाष चौक स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर से माता जानकी की भव्य सवारी धूमधाम और श्रद्धा के साथ निकाली गई। इस शोभायात्रा की विशेष बात रही कि इसमें 1100 महिलाओं ने सिर पर कलश धारण कर नगर भ्रमण किया।
ढोल-नगाड़ों, बैंड-बाजों और भक्ति संगीत के साथ चली इस यात्रा में मार्ग भर श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर सवारी का स्वागत किया। महिलाएं कलश लेकर भक्ति में लीन नजर आईं। वहीं सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पदयात्रा के रूप में सवारी का साथ दिया।
यह यात्रा पूरे भक्ति भाव और पारंपरिक उल्लास के साथ रूपबास पहुंची। रूपबास पहुंचने पर माता जानकी को विधिपूर्वक विराजमान किया गया। इसके बाद देर रात 10 बजे से वरमाला महोत्सव का आयोजन होगा। जिसमें रातभर भजन-कीर्तन, झांकियां और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी।
इस मौके पर स्थानीय लोगों सहित दूर-दूर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में रूपबास पहुंचे हैं।
सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना का प्रतीक
पंडित धर्मेंद्र शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह परंपरा वर्षों पुरानी है और इसका उद्देश्य समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना का संचार करना है।
रूपबास में इस अवसर पर मेला भी पूरे शबाब पर है। नगर में जगह-जगह आकर्षक स्टॉल और झूले लगे हैं। जहां शाम से देर रात तक हजारों की भीड़ उमड़ रही है।
यह महोत्सव न सिर्फ परंपरा को जीवित रखता है, बल्कि प्रभु प्रेम में लीन होकर मन को शुद्ध करने का एक अनुपम अवसर भी प्रदान करता है।
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