महाराष्ट्र में मराठी बनाम गैर-मराठी भाषा विवाद गहराता जा रहा है। मीरा-भायंदर में मारवाड़ी व्यापारी से मारपीट के बाद अब राजस्थान के बाड़मेर जिले के बाड़मेर ग्रामीण ग्राम पंचायत के वार्ड संख्या 13 से वार्ड पंच तेजाराम माचरा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए कहा कि हम मारवाड़ से आकर इनके गबीड बोला देंगे।

तेजाराम का यह पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने लिखा –
“हाल ही के दिनों में मारवाड़ी व्यापारियों को महाराष्ट्र में निशाना बनाया जा रहा है, उनको पीटा जा रहा है, जबरदस्ती मराठी थोंपी जा रही है। आप या तो इन चवन्नो के खिलाफ सख्त कार्यवाही कर लो, वरना हम मारवाड़ से आकर इनके गबीड बोला देंगे। मारवाड़ियों के साथ हिंसा बर्दाश्त नहीं करूंगा, फिर जो होगा देखा जाएगा। इनके मोरिये बोला देंगे।”
क्या है विवाद – 29 जून 2025 को मीरा-भायंदर में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं ने ‘जोधपुर स्वीट्स और फरसाण’ के मालिक बाबूलाल चौधरी से दुकान पर मराठी में बात करने की जबरदस्ती की। बाबूलाल के हिंदी में जवाब देने पर उनके साथ मारपीट की गई और धमकाया गया। यह पूरी घटना सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो गई, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए।
घटना के बाद मारवाड़ी समाज में भारी आक्रोश फैल गया। स्थानीय व्यापारियों ने बाजार बंद कर प्रदर्शन किया और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि मराठी का सम्मान ज़रूरी है, लेकिन इसके नाम पर गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पुलिस ने मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
राजनीतिक दलों की भूमिका पर सवाल –
इस विवाद को मनसे और शिवसेना (ठाकरे गुट) जैसे दलों द्वारा “मराठी अस्मिता” के नाम पर हवा दी जा रही है। उनके कुछ नेताओं ने सार्वजनिक मंचों पर गैर-मराठी समुदायों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए हैं। वहीं, सोशल मीडिया पर भी कुछ स्थानीय कट्टरपंथी समूहों द्वारा नफरत फैलाने वाली पोस्टें वायरल की जा रही हैं।