नागौर जिले में पुलिस प्रशासन की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। ताजा मामला एक पुलिसकर्मी के पुत्र को थाने में घंटों बिठाकर रखने और उसके पिता के मानसिक रूप से टूटकर खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश से जुड़ा है।
घटना के सामने आने के बाद नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने प्रदेश के नव नियुक्त डीजीपी राजीव कुमार शर्मा को ‘X’ पर लिखते हुए पूरे प्रकरण में जिला पुलिस कप्तान की भूमिका को कटघरे में खड़ा किया है।
सांसद ने लिखा कि नागौर जिले की पुलिस संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है, जहां ना पुलिस परिवार की सुनवाई होती है और ना ही आमजन को न्याय मिलता है।
दरअसल, पूरा मामला नागौर पुलिस में कार्यरत कार्मिक रामप्रकाश और उसके पुत्र राहुल से जुड़ा है। सांसद के अनुसार – सीओ नागौर और कोतवाल नागौर ने रामप्रकाश के पुत्र राहुल को थाने बुलाया और बताया कि 2019 में उसने नागौर की एक पूर्व सांसद की फेसबुक पोस्ट पर कमेंट किया था, जिसके चलते एसपी के निर्देश पर उसकी गिरफ्तारी होगी। सांसद ने स्पष्ट किया कि जब राहुल ने यह कमेंट किया था तब वह नाबालिग था, ऐसे में पुलिस की यह कार्रवाई न सिर्फ अवैध है बल्कि क्रूर भी।
रामप्रकाश ने थाने पहुंचकर बार-बार कोतवाल और वृत्ताधिकारी नागौर से विनती की कि उसका पुत्र निर्दोष है और सुबह 11 बजे से थाने में बैठा है, उसे रिहा किया जाए, लेकिन किसी ने उसकी एक नहीं सुनी। संवेदनहीनता की हद तब हो गई जब एक पुलिसकर्मी की पीड़ा को भी अनदेखा कर दिया गया। इससे आहत होकर रामप्रकाश रात में ताउसर रेलवे फाटक की ओर निकल गया। देर रात रेलवे स्टाफ को उसकी मोटरसाइकिल लावारिस हालत में मिली तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी।
जब पुलिस को यह पता चला कि रामप्रकाश कहीं लापता है, तब आनन-फानन में राहुल को रात दो बजे उपखंड अधिकारी के समक्ष पेश किया गया और जमानत पर रिहा किया गया।
रामप्रकाश के परिजनों ने रात 2:13 बजे सांसद हनुमान बेनीवाल को फोन कर पूरी जानकारी दी। इसके बाद सांसद ने RLP टीम को तत्काल रामप्रकाश की तलाश में लगाया। पूरी रात पुलिस और RLP के कार्यकर्ता रामप्रकाश को ढूंढते रहे। सुबह 6 बजे रामप्रकाश बेहोशी की हालत में मिला, जिसे पहले नागौर और बाद में जोधपुर रेफर किया गया।
सांसद हनुमान बेनीवाल ने पूरे घटनाक्रम को मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन बताया है और जिले के पुलिस अधीक्षक पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने लिखा– “क्या आपको मालूम है कि नागौर जिले के पुलिस कप्तान आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं क्योंकि जब इन्हें पुलिस परिवार के हितों की भी परवाह नहीं है तो आम जन इनसे क्या अपेक्षा रखेगा?”
उन्होंने आगे लिखा– “नागौर के पुलिस कप्तान ने जिले में बजरी के अवैध खनन से जुड़े कार्यों से लेकर अवैध वसूली तक, संस्थागत भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है।”
बेनीवाल ने इस बात पर भी रोष जताया कि इतने गंभीर घटनाक्रम के बावजूद जिले के पुलिस कप्तान गहरी नींद में सोते रहे और एक पुलिसकर्मी की जान पर बन आई, फिर भी कोई हरकत नहीं दिखाई। उन्होंने लिखा– “जब रामप्रकाश की मोटरसाइकिल लावारिस मिली, तब भी एसपी तक यह बात नहीं पहुंची और चैन की नींद सोते रहे। क्या यही संवेदनशीलता है?”
अंत में सांसद ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा– “इस पूरे मामले को देखने से यह भी लग रहा है कि जिले के पुलिस कप्तान को सरकारी दफ्तर में ना बैठकर भाजपा की एक नेत्री व पूर्व सांसद के घर के बाहर फाटक पर बैठ जाना चाहिए ताकि लोग पुलिस की संवेदनशीलता पर सवाल तो खड़े नहीं करें।”
उन्होंने आगे लिखा– “लोकतंत्र में विचारों की अभिव्यक्ति को कोई दबा नहीं सकता मगर नागौर के SP जिस तरह अपने फर्ज को भुलाकर एक पार्टी विशेष के कुछ लोगों की हाजिरी बजाने में व्यस्त है उससे यह लग रहा है कि मुख्यमंत्री स्तर पर जिलों की कानून व्यवस्था तथा जिलों में कानून व्यवस्था का जिम्मा संभाल रहे अफसरों की कोई मॉनिटरिंग भी नहीं हो रही है।”
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