जयपुर में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर गहरी चिंता जताते हुए इसे एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश से जोड़ दिया है। गहलोत ने इस घटनाक्रम को बीजेपी और आरएसएस की रणनीति का हिस्सा करार दिया।
किसानों की आवाज उठाना बना कारण?
गहलोत ने कहा कि उपराष्ट्रपति धनखड़ लगातार संसद के अंदर और बाहर किसानों के मुद्दे उठा रहे थे। यहां तक कि एक बार उन्होंने कृषि मंत्री को भी कड़ी फटकार लगाई थी। संभव है कि इसी वजह से उन पर दबाव बनाया गया हो।
दबाव में काम कर रहे थे धनखड़ और बिरला-
गहलोत ने खुलासा किया कि उन्होंने पहले ही जोधपुर में यह बयान दिया था कि उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला दोनों दबाव में कार्य कर रहे हैं। अब धनखड़ के इस्तीफे ने उस बयान को सही साबित कर दिया।
फेयरवेल नहीं देना हैरान करने वाला कदम-
गहलोत ने यह भी कहा कि सरकार की ओर से धनखड़ को फेयरवेल नहीं दिए जाने की खबरें बेहद चौंकाने वाली हैं। यह सामान्य परंपरा रही है, लेकिन इस बार का रवैया कई सवाल खड़े करता है।
स्वास्थ्य कारणों की बात समझ से परे-
उन्होंने कहा कि देश में अब तक किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा नहीं दिया। ऐसे में उपराष्ट्रपति का यह कदम चौंकाने वाला है और इसके पीछे कुछ और ही वजह हो सकती है।
राजस्थान को लगा गहरा धक्का-
गहलोत ने भावुक होते हुए कहा कि धनखड़ राजस्थान के बेटे हैं, उनका यूं अचानक इस्तीफा देना पूरे प्रदेश के लिए आघात जैसा है। किसानों के लिए जो आवाज वो उठाते थे, वह अब संसद से गायब हो जाएगी।
इस्तीफा वापस लेने की हो कोशिश-
गहलोत ने जयराम रमेश के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि अगर इस्तीफा वापस लेने की गुंजाइश है तो प्रधानमंत्री को खुद हस्तक्षेप करना चाहिए। यह मुद्दा अब देश-विदेश में चर्चा का विषय बन गया है।
बीजेपी-आरएसएस की नई चाल?
गहलोत ने पूरे घटनाक्रम को मामूली नहीं बताया और शंका जताई कि शायद कोई नया राजनीतिक मूव तैयार किया जा रहा है जिसे बीजेपी और आरएसएस अभी छिपा रहे हैं।
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