बाड़मेर. शिव से विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने रामसर उपखंड अधिकारी के एक प्रशासनिक आदेश पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
उन्होंने कहा कि जब किसी अधिकारी को सरकार द्वारा एपीओ (Awaiting Posting Order) घोषित कर दिया गया हो, तो वह उस पद पर रहते हुए किसी भी प्रकार का शासकीय आदेश कैसे पारित कर सकता है? यह न केवल सरकारी आदेशों की अवहेलना है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सीधा प्रहार है।
विधायक भाटी ने कहा कि 22 फरवरी 2024 को राजस्थान सरकार RAS अधिकारियों के स्थानांतरण की सूची जारी करती है जिसमें रामसर में भी एक उपखण्ड अधिकारी लगाया जाता है, जिन्हें बाद में अतिरिक्त प्रभार गडरा रोड का भी सौंपा गया….
रामसर आने के बाद अधिकारी महोदय ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जमीनी घोटाले, सोलर कंपनियों के साथ सांठ गांठ करके मासूम किसानों की जमीनों पर हाई टेंशन लाइन की अनुमति प्रदान करना, सीमावर्ती संवेदनशील क्षेत्र की जमीनों का क्रय विक्रय करने, मनिहारी गांव में स्वयं द्वारा किसानों और महिलाओं को धमकाना अभद्र व्यवहार और मारपीट करने के कारण राजस्थान सरकार ने 19 मई 2025 को एपीओ कर दिया। इससे सीमावर्ती क्षेत्र के किसानों के साथ साथ आम आदमी ने राहत की सांस ली।
लेकिन उक्त आदेशों के बावजूद श्रीमान जी अभी भी रामसर में आदेश पारित कर रहे हैं। 10 जुलाई 2025 को गड़रा उपखण्ड कार्यालय से एक नेखंबबंदी का आदेश जारी किया गया जिसमें पीठासीन अधिकारी का नाम अंकित हैं।
अब सवाल ना केवल बाड़मेर जिला प्रशासन से हैं बल्कि राजस्थान सरकार से भी हैं कि एपीओ होने के 50 दिन बाद भी वही अधिकारी किस अधिकार से अपने पद पर आसीन हैं….
उक्त संदर्भ ना केवल गैर कानूनी है बल्कि सरकारी आदेशों की अवहेलना भी हैं।
सरकार इस कुकृत्य हेतु किसे जिम्मेदार मानती हैं.. क्या रामसर और गडरा रोड जैसे संवेदनशील और सामरिक महत्व वाले उपखण्ड से एक अधिकारी एपीओ होने के बाद भी वहां से आदेश जारी कर सकता है?