चौमूं में शिक्षा के मंदिर अब मौत के घर बनते जा रहे हैं। बारिश के मौसम में सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत बच्चों की जान के लिए खतरा बन चुकी है। छतों से टपकता पानी, दीवारों से झड़ता प्लास्टर और दरारों से भरे कमरे प्रशासन की लापरवाही की खुली पोल खोल रहे हैं।
झालावाड़ हादसे के बाद भी नहीं जागा प्रशासन-
हाल ही में झालावाड़ जिले में एक दर्दनाक हादसे में स्कूल भवन गिरने से 7 मासूम बच्चों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों की दुर्दशा पर सवाल खड़े हुए, लेकिन चौमूं उपखंड क्षेत्र में अब भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। दो दर्जन से अधिक सरकारी स्कूलों की इमारतें बेहद जर्जर हालत में हैं, जिनमें पढ़ने वाले बच्चों की जान हर दिन खतरे में है।
जैतपुरा से लेकर गोविंदगढ़ तक संकट की तस्वीर-
जैतपुरा, राधास्वामी बाग, सामोद, मोरीजा और गोविंदगढ़ जैसे इलाकों के सरकारी स्कूलों की हालत चिंताजनक है। स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूलों की हालत को लेकर कई बार शिक्षा विभाग और प्रशासन को अवगत कराया गया, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कई स्कूलों की छतों से लगातार पानी टपक रहा है, जिससे कक्षाएं संचालित करना मुश्किल हो गया है।
बच्चों की सुरक्षा पर उठे सवाल-
बारिश के चलते जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति और भी खतरनाक हो गई है। बच्चों को दरारों से भरे कमरों में पढ़ाया जा रहा है, जो कभी भी हादसे में तब्दील हो सकते हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते इन भवनों की मरम्मत नहीं हुई तो कोई बड़ा हादसा होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
जल्द कार्रवाई की मांग-
ग्रामीणों ने मांग की है कि संबंधित अधिकारी स्कूलों की स्थिति का तुरंत जायजा लें और बारिश के मौसम को देखते हुए प्राथमिकता से भवनों की मरम्मत कराई जाए। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
सरकार और विभाग कब जागेंगे?
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या शिक्षा विभाग किसी बड़े हादसे के इंतजार में है या वह पहले से चेतावनी स्वरूप दिख रही इन खस्ताहाल इमारतों की मरम्मत कर बच्चों को सुरक्षित माहौल देने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा?
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