चित्तौड़गढ़ की मेवाड़ यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों के घेरे में है। राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने यूनिवर्सिटी का औचक दौरा किया और फर्जी डिग्री घोटाले पर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने जांच एजेंसी SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) पर सवाल उठाते हुए कहा कि जांच अधूरी छोड़ देना गलत है।
उन्होंने साफ तौर पर कहा— “SOG की टीम केवल एक बार आई और चली गई, लेकिन फर्जीवाड़ा आज भी जारी है। अगर SOG के एडिशनल डीजी मेरी बात सुन रहे हैं तो जान लें कि अब यह तमाशा नहीं चलेगा।”
छात्र की शिकायत से खुली परतें-
इस पूरे प्रकरण की शुरुआत एक छात्र की शिकायत से हुई। बीकानेर निवासी स्वतंत्र विश्नोई ने कृषि मंत्री को बताया कि उसने 12वीं कॉमर्स से की थी, लेकिन एक दलाल ने 50 हजार रुपए लेकर उसे एग्रीकल्चर डिप्लोमा दिलवाया। जब डिग्री मिली तो उसमें 66% अंक दर्शाए गए थे, जबकि परीक्षाओं की कॉपियों में नाममात्र के ही अंक थे। कॉपियों पर परीक्षक के हस्ताक्षर तक नहीं थे, जिससे स्पष्ट होता है कि पूरा खेल यूनिवर्सिटी और दलालों की मिलीभगत से चल रहा है।
हर जिले में सक्रिय हैं दलाल-
जांच में यह भी सामने आया कि राजस्थान के लगभग हर जिले में दलाल सक्रिय हैं, जो बेरोजगार युवाओं को बिना परीक्षा के डिग्री दिलवाने का झांसा देते हैं। आशंका जताई जा रही है कि इन डिग्रियों का उपयोग कई लोग सरकारी नौकरियों में प्रवेश के लिए भी कर रहे हैं।
पिछली कार्रवाई अधूरी रह गई-
साल 2024 के अप्रैल में SOG ने यूनिवर्सिटी के गंगरार और नोएडा कैंपस में छापे मारे थे। जांच में डीन कौशल किशोर चंदरुल की गिरफ्तारी हुई, जिन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने पिछले 5 वर्षों में सैकड़ों फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए। इस दौरान RPSC की हिंदी लेक्चरर भर्ती में फर्जी डिग्री से नौकरी पाने वाली कमला विश्नोई और ब्रह्मा कुमारी को भी गिरफ्तार किया गया था।
अब आगे क्या?
कृषि मंत्री ने संकेत दिए कि अब इस मामले की जांच उनका विभाग अपने स्तर पर करेगा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। इस बार सरकार इसे केवल मीडिया हेडलाइन बनाकर नहीं छोड़ेगी, बल्कि व्यवस्था सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाएगी।
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