राजस्थान में बारिश की कमी से निपटने के लिए जयपुर के रामगढ़ बांध क्षेत्र में ड्रोन के जरिए कृत्रिम बारिश का अनोखा प्रयोग किया जाना था। यह देश का पहला ऐसा ट्रायल होता, जिसमें प्लेन के बजाय ड्रोन से क्लाउड सीडिंग की जाती। हालांकि, मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी के चलते यह परीक्षण फिलहाल टाल दिया गया है।
पहली बार ड्रोन से बारिश का ट्रायल, फिलहाल टला
31 जुलाई से इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत होनी थी जिसकी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा इसे शुरू करने वाले थे। ताइवान से मंगवाया गया विशेष ड्रोन दो दिन पहले ही जयपुर पहुंच चुका था। वैज्ञानिकों की टीम भी मौके पर मौजूद थी।
अमेरिका और भारत की जेन एक्स एआई टेक्नोलॉजी कंपनी इस परियोजना को कृषि विभाग के सहयोग से संचालित कर रही है। ट्रायल के तहत एक महीने तक रामगढ़ बांध के आसपास 60 क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन किए जाने थे।
इस प्रयोग के लिए केंद्र व राज्य सरकार के संबंधित विभागों समेत डीजीसीए से सभी आवश्यक स्वीकृतियां मिल चुकी हैं। अब यह ट्रायल अगस्त में संभावित है। ड्रोन के जरिए सीमित दायरे में पहली बार यह तकनीक अपनाई जा रही है जबकि अब तक बड़े इलाकों में प्लेन से क्लाउड सीडिंग होती रही है।
क्लाउड सीडिंग के तहत सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस जैसे रसायनों का छिड़काव किया जाता है जिससे बादल सक्रिय होकर बारिश करते हैं। अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो राजस्थान के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में एनिकट, तालाब व कुएं भरने के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकेगा
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