राजस्थान न्यूज़: अब खनन माफिया की खैर नहीं। अवैध खनन और फर्जी ई-रवन्ना से राजस्व को नुकसान पहुंचाने वालों पर अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के ज़रिए शिकंजा कसा जाएगा। खान विभाग ने एक नई तकनीकी प्रणाली विकसित की है, जिससे अवैध गतिविधियों की तुरंत पहचान की जा सकेगी और भारी पेनल्टी भी लगाई जा सकेगी।
खान विभाग के निदेशक दीपक तंवर ने दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में बताया कि यह नई व्यवस्था राजस्थान के विशाल भौगोलिक क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। राज्य में 5000 किमी से अधिक लंबी नदियां और खनन क्षेत्र हैं, लेकिन संसाधनों की सीमितता के कारण पारंपरिक निगरानी तंत्र प्रभावी नहीं था।
अब AI आधारित सॉफ्टवेयर की मदद से अवैध खनन की निगरानी की जाएगी। खनन क्षेत्र की जियोग्राफिकल एंट्री डाली जा चुकी है, और खनन से जुड़े वाहनों पर GPS ट्रैकर और कलर कोडिंग सिस्टम लागू किया जाएगा। इससे वाहन की पहचान आसान होगी और कोई भी व्यक्ति फर्जी रवन्ना नहीं बना पाएगा।
AI से जुड़ा सॉफ्टवेयर वाहन का पूरा डाटा सेंटर तक भेजेगा। जब वाहन ई-वे ब्रिज से गुजरेगा, तो सेंसर यह सुनिश्चित करेगा कि वाहन सही तरीके से तौला गया है या नहीं। पुराने तरीके से वजन छुपाने की तरकीबें जैसे दो टायर ब्रिज पर रखना अब काम नहीं आएंगी।
इसके अलावा, पुलिस थानों के बाहर AI कैमरे और GPS ट्रैकिंग सिस्टम लगाए जाएंगे। यदि कोई वाहन बिना वैध ई-रवन्ना के पकड़ा जाता है तो उस पर तुरंत ई-चालान जनरेट होगा। दो बार से ज्यादा उल्लंघन पर वाहन का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया जाएगा।
सीमा क्षेत्रों पर भी होगी सख्ती-
राज्य के बॉर्डर इलाकों और अधिक खनिज संपन्न जिलों में हाई-सिक्योरिटी गेट्स स्थापित किए जाएंगे, जो AI कैमरों से लैस होंगे। यदि कोई बाहरी वाहन अवैध खनिज लादकर आता है, तो उसकी भी पहचान कर नोटिस भेजा जाएगा।
राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जा सकता है यह मॉडल-
तंवर ने बताया कि इस मॉडल की सफलता के बाद उम्मीद है कि पूरे देश में इसे अपनाया जाएगा। इसका परीक्षण कार्य वर्तमान में चल रहा है और इसी वर्ष इसे लागू करने की योजना है।
माइनिंग का चौथा युग: AI का प्रवेश-
1900 से अब तक माइनिंग इंडस्ट्री तीन चरणों में बदल चुकी है। पहले इंसानों और पशुओं से काम लिया जाता था, फिर आधुनिक मशीनें आईं। लेकिन अब माइनिंग 4.0 की शुरुआत हो चुकी है, जिसमें AI और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का सक्रिय उपयोग होगा।
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