जयपुर में आयोजित युवा संसद के उद्घाटन समारोह में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने युवाओं को लोकतंत्र की असली ताकत बताते हुए गहन विचार और तर्कशीलता को समय की ज़रूरत बताया। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास केवल गौरवशाली नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भी है।
देवनानी ने कहा,सिंधु घाटी के किनारे वेदों की रचना हुई, मोहनजोदड़ो ने कपड़े पहनने और नगर बसाने का तरीका सिखाया। महाभारत में संजय ने मीलों दूर बैठकर आंखों देखा हाल सुनाया, वह भी एक तरह का टेलीविजन ही था।
रामचरित मानस में पुष्पक विमान का उल्लेख है और गणेश जी की सूंड को जोड़ने की बात सर्जरी का संकेत देती है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि आंधी में बहने की बजाय तर्क के साथ चीज़ों को समझें और उन्हें युगानुकूल बनाएं।
वोटिंग की उम्र और लोकतांत्रिक सोच पर बात-
वासुदेव देवनानी ने बताया कि जब वे युवा थे, तब वोट देने की उम्र 21 साल थी। उन्होंने और उनके साथियों ने 18 साल करने के लिए आंदोलन किया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने यह बदलाव किया।
उन्होंने कहा, सदन बहस का मंच है, जहां अपनी बात रखने के साथ दूसरों की बात सुनना भी जरूरी ह। ‘मैं ही सही हूं’ की धारणा गलत है। लोकतंत्र का मूल तर्क और बहस है, अगर सभी एकमत हो जाएं तो तर्क की जरूरत ही क्या रह जाएगी?
सोशल मीडिया और युवाओं की सोच-
स्पीकर ने सोशल मीडिया की अंधी दौड़ पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आज के युवा बिना पड़ताल के किसी भी बात को पोस्ट कर देते हैं। रामचरित मानस पढ़ने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें पिता, पत्नी, भाई – सभी रिश्तों की जिम्मेदारी और मर्यादा को समझाया गया है, जो आज के युवा समाज के लिए ज़रूरी है।
13 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के छात्र शामिल-
इस युवा संसद में 168 छात्र हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें से 56 छात्र अलग-अलग विषयों पर बहस कर रहे हैं। ये छात्र राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तराखण्ड, कर्नाटक, गोवा जैसे राज्यों और जम्मू-कश्मीर, नई दिल्ली व चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित प्रदेशों से आए हैं।इन छात्रों ने आतंकवाद, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति जैसे मुद्दों पर चर्चा की।
देवनानी का संदेश-
देवनानी ने कहा कि युवा संसद न केवल बहस का मंच है बल्कि एक प्रेरणा है, जो युवाओं को लोकतंत्र की प्रक्रिया में भागीदार बनाती है। उन्होंने कहा, युवा संसद युवाओं को केवल आलोचक नहीं, समाज में बदलाव लाने वाला नेतृत्व बनने के लिए प्रेरित करती है।
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