जयपुर न्यूज: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का समर्थन करते हुए कहा कि भारत का चुनाव आयोग अब निष्पक्षता की छवि खोता जा रहा है और इसका सीधा असर लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर पड़ रहा है। गहलोत जयपुर स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
वोटर लिस्ट डाटा साझा करने में पारदर्शिता की कमी
गहलोत ने कहा कि पहले भारत का चुनाव आयोग इतना सशक्त और निष्पक्ष था कि अन्य देश अपने चुनाव अधिकारियों को भारत में प्रशिक्षण दिलवाते थे। लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। देश की जनता खुद आयोग की भूमिका पर संदेह करने लगी है।
उन्होंने बीजेपी पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता पक्ष की वजह से चुनाव आयोग की साख को भारी नुकसान पहुंचा है।
उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी द्वारा हाल ही में किए गए खुलासे ने पूरे देश को चिंता में डाल दिया है। यदि चुनाव आयोग सत्ता पक्ष के साथ मिलकर काम करेगा, तो निष्पक्ष चुनाव और लोकतंत्र की रक्षा कैसे होगी? गहलोत ने कहा कि बीजेपी पूरे देश में नहीं, बल्कि चुनिंदा सीटों पर रणनीतिक तरीके से चुनाव में गड़बड़ी करवाती है जिससे वह जीत सुनिश्चित कर सके।
चुनाव आयोग ने डेटा देने से किया इनकार, पारदर्शिता पर सवाल
गहलोत ने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की चयन प्रक्रिया में बदलाव के बाद से आयोग का व्यवहार बदल गया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जगह केंद्रीय गृह मंत्री को चयन समिति में शामिल करना इस झुकाव का संकेत है। उन्होंने बताया कि अब चुनाव आयोग विपक्षी दलों से संवाद में भी भेदभाव करता दिख रहा है।
डेटा न देने से आयोग की मंशा पर उठे सवाल
राहुल गांधी द्वारा उठाए गए वोटर लिस्ट में फर्जी नामों के मुद्दे पर गहलोत ने कहा कि आयोग की ओर से पारदर्शिता की बजाय, राज्यों के स्तर पर सफाई दी जा रही है। उन्होंने इसे “चोरी और सीनाजोरी” वाली स्थिति बताया। अगर आयोग ईमानदारी से काम कर रहा होता, तो वो मशीन-रीडेबल फॉर्मेट (जैसे एक्सेल) में वोटर डेटा उपलब्ध करवा देता ताकि सच्चाई सामने लाना आसान होता।
उन्होंने यह भी कहा कि जब राहुल गांधी ने 2024 की वोटर लिस्ट के आधार पर गड़बड़ियों का खुलासा किया, तो कुछ राज्य आयोग 2025 की सूची का हवाला देकर बात को गलत साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका मतलब है कि जब फर्जी नाम पकड़े जाते हैं तो उन्हें हटाकर सबूत मिटाने की कोशिश की जाती है।
गहलोत ने चार राज्यों-राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार और मध्यप्रदेश – की निर्वाचन विभाग की वेबसाइटें न चलने पर भी सवाल उठाए और कहा कि हो सकता है प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद ये साइटें चालू हो जाएं, क्योंकि अब वे इन कमियों को छुपाने या सुधारने में लगे होंगे
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