जोधपुर में स्थित काजरी संस्थान में किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और किसानों को संबोधित किया।
6 वर्षों में किसानों को मिले 4 लाख करोड़ रुपये-
मीडिया से बातचीत में शेखावत ने बताया कि बीते छह वर्षों में किसानों के खातों में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं। हर किसान के खाते में औसतन 40 हजार रुपये जमा हुए हैं। उन्होंने कहा, यह योजना किसानों के आत्मबल और कृषि क्षेत्र के सशक्तिकरण की दिशा में क्रांतिकारी कदम है।
‘स्वदेशी अपनाएं’ की भी अपील-
शेखावत ने प्रधानमंत्री मोदी के स्वदेशी अभियान की चर्चा करते हुए कहा, त्योहारों के समय हम सभी को स्वदेशी उत्पादों की खरीद को प्राथमिकता देनी चाहिए। भारत इतना बड़ा बाजार है कि अगर हम खुद अपने उत्पादों को तरजीह दें, तो किसी अंतरराष्ट्रीय टैरिफ से डरने की जरूरत नहीं।
किसान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में-
शेखावत ने मंच से कहा, मोदी सरकार ने 2014 से ही गांव, गरीब और किसान के कल्याण को अपनी प्राथमिकता में रखा। कभी हम खाद्यान्न आयात करने को मजबूर थे, लेकिन आज भारत गेहूं, चावल, गन्ना, कपास और डेयरी उत्पादों में अग्रणी उत्पादक बन चुका है।
हम अब फूड सरप्लस नेशन हैं-
उन्होंने कहा कि भारत अब खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि सरप्लस देश बन गया है। हर साल 70-80 हजार करोड़ रुपये का चावल निर्यात किया जाता है। यह किसानों और वैज्ञानिकों की मेहनत का ही नतीजा है।
उत्पादन से आगे बढ़े कृषि नीति की सोच-
शेखावत ने कहा कि पहले कृषि नीतियां केवल उत्पादन केंद्रित थीं, इसलिए किसानों की आमदनी नहीं बढ़ सकी। लेकिन मोदी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने को लक्ष्य बनाकर योजनाएं लागू की हैं। अब खेती को लाभकारी व्यवसाय बनाने पर जोर है।
स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर किया काम-
केंद्रीय मंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया था। मोदी सरकार ने रिपोर्ट के सुझावों को अमल में लाते हुए बीज, संसाधन, बीमा, भंडारण, विपणन और प्रोसेसिंग पर ध्यान केंद्रित किया है।
जल संकट और प्रोसेसिंग पर किया जोर-
उन्होंने पश्चिमी राजस्थान में गिरते भूजल स्तर पर चिंता जताई और कहा कि इस दिशा में वैज्ञानिक अनुसंधान और कार्य जरूरी है। साथ ही, कृषि क्षेत्र में एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट और इन्क्यूबेशन सेंटरों को बढ़ावा देने की जरूरत बताई।
शोध और किसानों के बीच की दूरी कम करनी होगी-
शेखावत ने यह भी कहा कि कृषि वैज्ञानिक संस्थानों में हो रहे शोधों को किसानों तक तेजी से पहुंचाना समय की मांग है। शोध और खेत के बीच की दूरी कम करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
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