राजस्थान में सरकारी दफ्तरों की परंपरागत विदाई पार्टियों पर अब सवाल खड़े हो गए हैं। भीलवाड़ा जिला कलक्टर जसमीत सिंह संधू द्वारा जारी एक आदेश ने प्रशासनिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है।
इस आदेश में उन्होंने सभी विभागों में कार्यालय समय के दौरान सेवानिवृत्ति या विदाई समारोह आयोजित करने पर रोक लगा दी है।
दरअसल, गुरुवार, 31 जुलाई को जारी इस आदेश में कहा गया है कि सेवानिवृत्ति समारोहों के कारण सरकारी कामकाज प्रभावित होता है।
कलक्टर संधू के अनुसार – इस तरह के आयोजनों में न केवल अधिकारी-कर्मचारी शामिल होते हैं, बल्कि इनसे दफ्तर का वातावरण भी प्रभावित होता है। लिहाज़ा, अब किसी भी कर्मचारी के रिटायरमेंट के मौके पर सरकारी दफ्तर में कोई आयोजन नहीं किया जा सकेगा।

नियमों की अनदेखी करने पर कार्रवाई तय
जारी आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई कर्मचारी इस आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। कलक्टर कार्यालय ने सभी विभागाध्यक्षों से अपेक्षा की है कि वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को इस बारे में सूचित करें और आदेश की पालना सुनिश्चित करें।
संघों की प्रतिक्रिया और उठते सवाल
हालांकि, इस आदेश के बाद राजस्थान राजस्व मंत्रालयिक कर्मचारी संघ ने निराशा जताई है। उनका कहना है कि राजस्थान सिविल सेवाएं (आचरण) नियम, 1971 में सेवानिवृत्ति और विदाई समारोहों का उल्लेख है और यह एक स्थापित परंपरा है।
कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शंभू सिंह राठौड़ ने कहा कि एक कर्मचारी 35 वर्षों तक सरकार को अपनी सेवाएं देता है। ऐसे में सेवानिवृत्ति का क्षण उसके लिए अत्यंत खुशी का होता है। वह इस अवसर को अपने कार्यालय के सहकर्मियों के साथ मिलकर सेलिब्रेट करता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
राजस्थान में पहला ऐसा आदेश!
संभवतः यह राज्य का पहला ऐसा मामला है जब किसी जिला कलक्टर ने कार्यालय में विदाई आयोजनों पर साफ-साफ रोक लगाने का आदेश दिया हो।