जैसलमेर। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा कक्षा 8वीं की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में प्रकाशित एक ऐतिहासिक नक्शे को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
जैसलमेर के पूर्व राजपरिवार ने इस नक्शे में जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाने पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत बताया है।
पूर्व राजपरिवार के सदस्य चैतन्यराज सिंह ने इस विषय को गंभीर बताते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर आवश्यक संशोधन की मांग की है।
इस संबंध में चैतन्यराज सिंह ने X (ट्विटर) पर लिखा —
कक्षा 8 की NCERT की सामाजिक विज्ञान विषय पाठ्यपुस्तक (Unit 3, पृष्ठ संख्या 71) में दर्शाए गए मानचित्र में जैसलमेर को तत्कालीन मराठा साम्राज्य का भाग दर्शाया गया है, जो कि ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गम्भीर रूप से आपत्तिजनक है।
इस प्रकार की अपुष्ट और ऐतिहासिक साक्ष्यविहीन जानकारी न केवल NCERT जैसी संस्थाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि हमारे गौरवशाली इतिहास और जनभावनाओं को भी आघात पहुंचाती है। यह विषय केवल एक पाठ्यपुस्तक की त्रुटि नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों के बलिदान, संप्रभुता और शौर्य गाथा को धूमिल करने का प्रयास प्रतीत होता है।
जैसलमेर रियासत के संदर्भ में उपलब्ध प्रामाणिक ऐतिहासिक स्रोतों में कहीं भी मराठा आधिपत्य, आक्रमण, कराधान या प्रभुत्व का कोई उल्लेख नहीं मिलता। इसके विपरीत, हमारी राजकीय पुस्तकों में भी स्पष्ट उल्लेखित है कि जैसलमेर रियासत में मराठाओं का कभी भी, कोई दखल नहीं रहा।
माननीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, संपूर्ण जैसलमेर परिवार की ओर से मैं आपका ध्यान इस ज्वलंत विषय की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि NCERT द्वारा की गई इस प्रकार की त्रुटिपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण और एजेंडा-प्रेरित प्रस्तुति को गंभीरता से लेते हुए तत्काल संशोधन करवाया जाए।
यह केवल एक तथ्य संशोधन नहीं, बल्कि हमारी ऐतिहासिक गरिमा, आत्मसम्मान और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की सत्यनिष्ठा से जुड़ा विषय है। इस विषय पर त्वरित एवं ठोस कार्रवाई की अपेक्षा है।
इतिहासकारों और स्थानीय जानकारों के अनुसार – भारतीय इतिहास के मध्यकाल की शुरुआत में, लगभग 1178 ईस्वी में, यदुवंशी भाटी वंश के राजा रावल जैसल ने जैसलमेर नगर की स्थापना की थी।
लगभग 770 वर्षों तक इस वंश के शासकों ने जैसलमेर पर एकनिष्ठ शासन किया, वह भी बिना किसी वंशविच्छेद के – जो भारतीय इतिहास में अत्यंत दुर्लभ है।
इतिहास में दर्ज है कि जैसलमेर पर खिलजी, तुगलक, मुगल जैसे कई आक्रांताओं ने हमले किए, लेकिन कोई भी जैसलमेर को पूरी तरह जीत नहीं पाया।
मुगल काल के लगभग 300 वर्षों तक जैसलमेर स्वतंत्र पहचान बनाए रखने में सफल रहा। ब्रिटिश राज के समय भी इसने अपने राजसी स्वरूप और सांस्कृतिक विरासत को बरकरार रखा। स्वतंत्रता के पश्चात यह राज्य भारतीय गणराज्य में विलीन हुआ, उस समय इसका भौगोलिक क्षेत्र 16,062 वर्ग मील में फैला हुआ था।